Rumored Buzz on Shodashi
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Neighborhood feasts Enjoy a big role in these situations, exactly where devotees occur alongside one another to share foods That usually involve common dishes. These kinds of foods rejoice each the spiritual and cultural facets of the festival, boosting communal harmony.
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
Within the context of ability, Tripura Sundari's attractiveness is intertwined with her strength. She is not just the image of aesthetic perfection but also of sovereignty and overcome evil.
The practice of Shodashi Sadhana is a journey in the direction of both of those satisfaction and moksha, reflecting the twin character of her blessings.
प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता read more है।
संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।
The legend of Goddess Tripura Sundari, also known as Lalita, is marked by her epic battles versus forces of evil, epitomizing the Everlasting battle involving fantastic and evil. Her tales are not simply tales of conquest but also have deep philosophical and mythological importance.
ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।